विभूतिमय देह से “विभूति” बन जाने की यात्रा कैसी रही होगी?
जन्मी होगी कब, कहाँ, कैसे, किस पल ……अनगिन से हैं अक्षर “क” !
सोचती हूँ, भस्म विभूति बन लिपटा कब महेश मन ?
यक्ष प्रश्न ?
शायद …
जब छोटे छोटे स्वार्थों का त्याग बन जाता है, सफलताओं का रहस्य,
जब चाह से परे सेवा बन जाती है, मन के समाधानों का पुंज |
जब सरलता, ढहा देती है आडम्बरों, अभिमानों के महल,
और सत्य सनातन बन जाता है अवलंबन |
जब जनहित, परहित बन जाता है लक्ष्य,
और जब परिस्नेह समर्पित हो जाता है राग रागिनी बन |
तब केवल तब ही ….
शैने: शैने: मुखरित, परिलक्षित, सुस्थापित हो जाता है,
सरल, शुद्ध, सात्विक भस्मभूषित महेश मन,
और प्रशस्त हो जाती है विभूतिमय देह की विभूति बन जाने की डगर |
विस्मित हूँ और विभोर भी…..
वह जो चला तो था एकाकी पर मुड़ कर देखा तो बरबस चल पड़े हैं … ध्रुव दिशा में अनगिन विभूतिमय पग……
विभूतिमय देह से “विभूति” बन जाने की यात्रा कदाचित् यूँ ही रही होगी |
समर्पित,
महेश भाई !
Smt. Manojbala(Manju) Tiwari is a member of VHPA Governing Council and serving as the director of National Balvihar Netwrork. She is based in Atlanta and is a former Emory University faculty member, where she established Hindi program and taught Hindi for many years. She is the director of Startalk program for Balvihar Hindi School (VHPA) Atlanta